Wednesday, December 16, 2015

सजदा

मुझको मुझसे मिला दे ऐ मौला
मेरी बिगड़ी बना दे ऐ मौला

टूट के मैं बिखर ही न जाऊं
नेकियों का सिला दे ऐ मौला

मुझको मुझसे मिला दे ऐ मौला
मेरी बिगड़ी बना दे ऐ मौला...

रूह को मेरी तू पाक़ कर दे
नेमतों से मेरी झोली भर दे
तेरे सजदे में झुकता रहूं मैं
हर गुनाह तू मेरा माफ़  कर दे

मेरी आंखों में बस, तेरा ही नूर हो
हो कुछ ऐसा नशा, हर कोई चूर हो
जाम ऐसा पिला दे ऐ मौला ...

मुझको मुझसे मिला दे ऐ मौला
मेरी बिगड़ी बना दे ऐ मौला...

मुझको जन्नत की परवाह नहीं है
तेरे कदमों में जन्नत मेरी है
तेरे दर से उठूंगा न खाली
मेरे दिल की तमन्ना यही है

भूख तेरे दरस की है मिटती नहीं
भूख मर जाए और दर्द भी हो नहीं
दवा ऐसी खिला दे ऐ मौला...

मुझको मुझसे मिला दे ऐ मौला
मेरी बिगड़ी बना दे ऐ मौला...

फ़ना हो जाऊं हस्ती में तेरी
झूम जाऊं मैं मस्ती में तेरी
मुझमें मैं न रहे यार बाकी
तू ही तू हो इबादत में मेरी

तेरी रहमत बड़ी, तेरी बरक़त बड़ी
तू है रहबर मेरा, मेरी हसरत बड़ी
तेरी चादर दिल दे ऐ मौला ...

मुझको मुझसे मिला दे ऐ मौला
मेरी बिगड़ी बना दे ऐ मौला...

टूट के मैं बिखर ही न जाऊं
कर्मों का कुछ सिला दे ऐ मौला

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