Thursday, December 10, 2015

गीत

जाने क्या आस लगा रखी है दिल ने तुमसे
धड़कनों में तेरी आवाज़ सी आती है मुझे

होंठ चुपचाप रहें फिर भी ज़िक्र करते हैं
ये वो शोले हैं जो पानी में सुलग उठते हैं
मैंने शोलों की ही तासीर बदल रखी है
ये सुलगते नहीं पानी में, भड़कते क्यों हैं...

जाने क्या आस लगा रखी है दिल ने तुमसे
धड़कनों में तेरी आवाज़ सी आती है मुझे

है जो तस्वीर ख़यालों में तेरी यादों की
मैंने तस्वीर वो सिरहाने छिपा रखी थी
मैंने सोचा था कि मिट जाएंगे कुछ रंग यहां
कैसे ये रंग हैं कि और चमकते क्यों हैं...

जाने क्या आस लगा रखी है दिल ने तुमसे
धड़कनों में तेरी आवाज़ सी आती है मुझे
 
बिखरे रिश्तों का कोई पुल था जो अब टूट गया
कोई भी राह नहीं अब तो नज़र आती है
कोई इक डोर तो है दरमियां जोड़े हमको
जब भी खिंचती है तो दम घुटता हमारा क्यों है...

जाने क्या आस लगा रखी है दिल ने तुमसे
धड़कनों में तेरी आवाज़ सी आती है मुझे

इसी उम्मीद पे ज़िंदा हैं फ़साने अपने
वो फ़साने जो कभी हो नहीं पाए पूरे
इन फ़सानो की फक़त इतनी गुज़ारिश सुन लो
न अधूरा इन्हें रहने दो ये अधूरे क्यों हैं...
         
जाने क्या आस लगा रखी है दिल ने तुमसे
धड़कनों में तेरी आवाज़ सी आती है मुझे

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