Wednesday, January 13, 2016

तीन आवाज़ें

1. पहली आवाज़:-
अरे! ये बच्चा दूध क्यों नहीं पी रहा?
इसे बोरी वाले बाबा का भय दिखाओ
न माने तो अंधेरे कमरे में ले जाओ
दरवाज़े के पीछे छिपे भूत के दर्शन कराओ
जैसे-जैसे बड़ा हो रहा है, मनमानी कर रहा है
इस पर कुछ बंदिशें तो लगाओ
इसका घूमना-फिरना, हंसना-बोलना बंद कराओ 
कुछ अच्छी बातें तोते की तरह रटाओ
ज़िद्दी है यह, नासमझ है, नादां है
इसको दुनिया का डर नहीं
तो इसे दुनिया के खतरों से डराओ
सामाजिक बंधनों का भय दिखाओ
ये समाज भेड़ों का रेवड़ है-ये बात ठीक से समझाओ
झुंड से बाहर भागे तो लाठी का वार चलाओ
और खदेड़ कर फिर इसे झुंड में घुसाओ
बिना सवाल किए सिर झुका कर चलना सिखाओ
2. दूसरी आवाज़:-
अब ये कुछ हमारी तरह बोलने-उठने लगा है
लगता है कुछ-कुछ दुनिया को समझने लगा है
पर ये इतना दब्बू क्यों है?
कुछ बोलता क्यों नहीं
हिरणों की तरह कूदता क्यों नहीं
फूलों की तरह महकता क्यों नहीं
कोई तो जुगत लगाओ
इसे पिंजरे के अंदर उड़ना सिखाओ
बाहर खुला आसमान है, ये चीख-चीख कर बताओ
जिम्मेदारी का एहसास कराओ
हो सके तो काम का बोझ बढ़ाओ
बचपन में तो बड़ा शेर था
अब भेड़ क्यों हो गया?
लगता है जिन्नात का साया है
तो कोई गाय को पेड़ा खिलाओ
अंगुलियों में अंगूठियां पहनाओ
वरना इससे उम्मीद करना बेमानी है
भला नाकारों की भी कोई ज़िंदगानी है
3. तीसरी आवाज़:-
बस करो अब! बंद करो ये शोर
बात को बेवजह मत बढ़ाओ
पंख काट कर कहते हो, चिड़ियों के संग बाज़ लड़ाओ
अब रेंगना अच्छा लगता है मुझे
आप ही तो कहते थे, बाहर की दुनिया में बहुत खतरे हैं
झुंड के साथ चला करो
अब मैं सुरक्षित हूं यहां भेड़ों के झुंड में
एकदम सुरक्षित!!!
एकदम सुरक्षित!!!
               
  

Tuesday, January 12, 2016

इम्तिहां

ज़िन्दगी के अभी इम्तिहां हैं बहुत
हौसलों के मगर आसमां हैं बहुत

क्या हुआ जो हवा ने बदल दी दिशा
कश्तियों के लिए बादबां हैं बहुत

आंधियों से चमन जो उजड़ था गया
उस चमन के लिए बागबां हैं बहुत

सरहदों पे कहीं हैं चलीं गोलियां
इस वतन के यहां पासबां हैं बहुत

क्या हुआ जो सितारा गिरा टूटकर
इस फ़लक में मगर कहकशां हैं बहुत

धूप खिलती नहीं इस शहर में कहीं
गांव सबके मगर खुशनुमा हैं बहुत

आदमी आदमी से परेशान है
मतलबी हैं बड़े खुदनुमा हैं बहुत

हर किसी से शिकायत व शिकवे मगर
दूसरों के लिए बेज़ुबां हैं बहुत

दूरियां पाटने मैं चला कुछ कदम
फासले ये मगर दरमियां हैं बहुत