सर्द पहरे, ज़र्द चेहरे
सुर्ख आंखें, दर्द गहरे
फर्ज़ पर है कर्ज़ भारी
ज्यों पुराने मर्ज़ ठहरे
नींद गुम है, चैन गुम है
वो सुहानी रैन गुम है
है डराती रात काली
ख़्वाब सोचे थे सुनहरे
छत पे है नीला समंदर
खेत पर टूटे बवंडर
फरियाद पे सय्याद चुप है
होंठ बंद और कान बहरे
मौत पर ये शोर देखो
और सियासी ज़ोर देखो
लाश पर भी हैं निगाहें
आंसुओं के रंग दोहरे
खेल कैसा है मुक़द्दर
कहीं रेशम, कहीं खद्दर
मांग कर मिलता नहीं कुछ
तोड़ डालो आज पहरे
सुर्ख आंखें, दर्द गहरे
फर्ज़ पर है कर्ज़ भारी
ज्यों पुराने मर्ज़ ठहरे
नींद गुम है, चैन गुम है
वो सुहानी रैन गुम है
है डराती रात काली
ख़्वाब सोचे थे सुनहरे
छत पे है नीला समंदर
खेत पर टूटे बवंडर
फरियाद पे सय्याद चुप है
होंठ बंद और कान बहरे
मौत पर ये शोर देखो
और सियासी ज़ोर देखो
लाश पर भी हैं निगाहें
आंसुओं के रंग दोहरे
खेल कैसा है मुक़द्दर
कहीं रेशम, कहीं खद्दर
मांग कर मिलता नहीं कुछ
तोड़ डालो आज पहरे