Sunday, September 25, 2022

सितारा

छिपा घने बादल में 
जो एक सितारा था

जिसकी एक झलक से
मिटता अंधियारा था

थी उसको इक आस यही
जीवन में इक बार कभी

जब बदल छंट जाएगा
अंधियारा हट जाएगा

उसके उजियारे से सारा
जग उजियारा हो जाएगा

किंतु भाग्य चक्र कुछ ऐसा
जीवन हुआ मरण के जैसा

ग्रहण काल ने ऐसा घेरा
शंकाओं ने डाला डेरा

होने लगी चमक भी धूमिल
जीवन लगने लगा ये बोझिल

किंतु आस रही जीवन में
फूटा अंकुर क्षण भर मन में

जो हार गया मैं इस बादल से
झुलस गया गर दावानल से

कितने जीवन मर जाएंगे
कितने दीपक बुझ जाएंगे

तेज सूर्य सा अंदर भर के
वेग वायु सा संचित करके

उसने बादल को पिघलाया
चमकी श्वेत धवल सी काया

छिपा घने बादल में था जो
चहुंओर चमक रहा था बस वो...
चहुंओर चमक रहा था बस वो...