जो एक सितारा था
जिसकी एक झलक से
मिटता अंधियारा था
थी उसको इक आस यही
जीवन में इक बार कभी
जब बदल छंट जाएगा
अंधियारा हट जाएगा
उसके उजियारे से सारा
जग उजियारा हो जाएगा
किंतु भाग्य चक्र कुछ ऐसा
जीवन हुआ मरण के जैसा
ग्रहण काल ने ऐसा घेरा
शंकाओं ने डाला डेरा
होने लगी चमक भी धूमिल
जीवन लगने लगा ये बोझिल
किंतु आस रही जीवन में
फूटा अंकुर क्षण भर मन में
जो हार गया मैं इस बादल से
झुलस गया गर दावानल से
कितने जीवन मर जाएंगे
कितने दीपक बुझ जाएंगे
तेज सूर्य सा अंदर भर के
वेग वायु सा संचित करके
उसने बादल को पिघलाया
चमकी श्वेत धवल सी काया
छिपा घने बादल में था जो
चहुंओर चमक रहा था बस वो...
चहुंओर चमक रहा था बस वो...