Friday, June 12, 2020

सलाम

सलाम कर, सलाम कर
निज़ाम को, सलाम कर
सुबह कर शाम कर
बस यही काम कर
निज़ाम को सलाम कर

मत कोई सवाल कर
मत कोई बवाल कर
लाश बनके देख सब
आंख को संभाल कर
शातिरों की भीड़ में
शातिरों सा काम कर
निज़ाम को सलाम कर

ये है तुम्हारा हक नहीं
कर सको जो शक कहीं
सब तो ठीक है यहां
शक की है जगह कहां
चुपचाप अपना काम कर
निज़ाम को सलाम कर

बेवजह न बोल तू
यूं ज़हर न घोल तू
क्या मिलेगा पूछ कर
जवाब खुद ही बोल तू
ज़िंदा है अभी तलक
बस इसका एहतराम कर
निज़ाम को सलाम कर

मुख़ालफ़त की सोच मत
ज़ख्म कोई नोच मत
रेंगने की बात कर
दौड़ने की सोच मत
जिस्म अपना मोड़ कर
रूह को ग़ुलाम कर
निज़ाम को सलाम कर

जाहिलों का दौर है
शोर चारों ओर है
जिससे खौफ़ खा रहा
उसके दिल में चोर है
बोलने सभी लगें
कुछ ऐसा इंतज़ाम कर
सलाम कर, सलाम कर...