ये तो अच्छा हुआ कबीरा
जो तुम जहां से चले गए,
कहा था तुमने इस दुनिया को
इक मुर्दों का गांव
ऐसा गांव जहां पर आखिर
इक दिन सबको मरना है
राजा-परजा, बैद और रोगी
पीर-पैगंबर ज़िंदा जोगी
सबको आखिर चलना है
लेकिन वो कुछ और समय था
जिस्म मरा करते थे केवल
रूहें अमर रहा करती थीं
अब ये गांव बदल चुका है
जिस्म नहीं अब यहां पे मरते
उनके बुत बन जाते हैं
जैसे ज़िंदा लाशें हैं
रूहें जिस्म से पहले मरतीं
जिस्म से पहले मरे ज़ुबां
ये मुर्दों का गांव कबीरा
ये मुर्दों का गांव...
Monday, February 22, 2021
मुर्दों का गांव
Thursday, February 4, 2021
सवाल की मौत
मौत से पहले का मातम
बहुत भयावह है।
मौत अभी दरवाज़े पर है,
झांक रही है अंदर,
सुन रही है रुदन,
ढूंढ़ रही है लाश,
लेकिन लाश लापता है।
चर्चा यह है कि...
इक सवाल की मौत हुई है,
भरी जवानी में।
सवाल भी ऐसा ...
जो अभी पूछा जाना था,
किसी महफ़िल में,
किसी चौपाल में,
किसी अख़बार में।
लेकिन इससे पहले कि ये...
आता किसी की ज़ुबान पर
हो गई अकाल मृत्यु
जवाब से पहले का मातम
बहुत भयावह है।
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