रास्ते खो गए हैं राहों में मंज़िलें ना मिलेंगी अब हमको कोई उम्मीद क्यों भला छोड़ें..
ज़िंदगी दे रही है आवाज़ें आओ सुन लें कि कोई बात बने कोई उलझन सुलझ सके शायद..
आईने टूट गए हैं घर के अपना चेहरा भी नहीं दिखता यहां एक साथी था वो भी रूठ गया. .