तुझसे ऐ ज़िन्दगी सवाल क्यों है
हर बात पे इतना बवाल क्यों है
ज़िन्दगी को खोकर फिर पाई ज़िन्दगी
फिर ज़िन्दगी पे इतना मलाल क्यों है
मुकाम शोहरतों के हसीं बहुत हैं यारो
पर ज़िन्दगी में इतना ज़वाल क्यों है
आंखों पे कफ़न होगा, मिट्टी में जिस्म होगा
फिर चेहरे पे रंग-ए-जमाल क्यों है
मोहब्बतों की दुनिया कितनी दिलकशी है
नफरतों का इसमें ख़्याल क्यों है
सहरा-ओ-समंदर में इक जैसी तिश्नगी है
ये ज़िन्दगी भी इतनी कमाल क्यों है