विधा गीतिका
समान्त/काफ़िया अर
पदांत/रदीफ़ लिया
मापनी/बहर
212 212 212 212
याद को आपने कैद सा कर लिया
था हसीं ख़्वाब जो आंख में भर लिया
समान्त/काफ़िया अर
पदांत/रदीफ़ लिया
मापनी/बहर
212 212 212 212
याद को आपने कैद सा कर लिया
था हसीं ख़्वाब जो आंख में भर लिया
ख़ाक में मिल गर्इं रौनकें वो सभी
जो भी' था पास वो आपने हर लिया
जो भी' था पास वो आपने हर लिया
रूह को मिल सकी न कभी धूप ही
छांव ने भी मगर जिस्म का घर लिया
छांव ने भी मगर जिस्म का घर लिया
दिल कहीं था मे'रा, होश था पर कहीं
आंसुओं में दबा दर्द था तर लिया
आंसुओं में दबा दर्द था तर लिया
थी नहीं बारिशों में नमी इन दिनों
आसमां टूटकर जो गिरा मर लिया
आसमां टूटकर जो गिरा मर लिया
राह में जो मिले हमसफर बन गए
आपने क्यों मगर मुंह उधर कर लिया
आपने क्यों मगर मुंह उधर कर लिया