Saturday, December 24, 2016

बात

बात से बनती नहीं बातें, मगर कुछ बात कर
चुप रहेगा कब तलक, अब तोड़ चुप्पी बात कर

है अंधेरा रास्तों में, खो न जाना तू कहीं
रात अंधियारी सही, तू रोशनी की बात कर

राह में तूफां खड़े हैं, खौफ़ दिल में भर रहे
मुश्किलों की है घड़ी, तू हौसलों की बात कर

ये ज़माना रोकता है, पर न तू रुकना कभी
वो डुबोएंगे तुझे, तू साहिलों की बात कर

है ज़मीं सूखी हुई, तू जा कहीँ फसलें उगा
बारिशें चुप हैं, मगर तू बादलों की बात कर

मंज़िलें मुश्किल बड़ी हैं, पर न घबराना कभी
रास्तों पर चल अकेला, काफिलों की बात कर

ये मकां ऊंचे बहुत हैं, ये कभी झुकते नहीं
फाज़िलों की वो सुनें, तू जाहिलों की बात कर