Friday, March 1, 2019

युद्ध और कुर्सी

शांति के लिए युद्ध होते हैं
लेकिन कहां आ पाती है शांति युद्ध के बाद भी
लाखों लाशों पर होने वाले रुदन-विलाप भंग कर देते हैं शांति
युद्ध से मिले ज़ख्म छीन लेते हैं नींद भी
बम नहीं पहचान पाते मासूम चेहरे
वे सभी चेहरों को चीथड़ों में बदल देते हैं
लेकिन फिर भी मुस्कुराते हैं कुछ चेहरे
लाशों के ढेर पर और ऊंची हो जाती है उनकी कुर्सी।

गिद्ध और राजनेता

ऊंची डाल पर बैठे गिद्ध
देख रहे हैं चीते और हिरण की लड़ाई
देख रहे हैं चीते का साहस और बल
भर पेट खाने के बाद चीता लौट जाएगा अपनी मांद को
...और गिद्ध हड्डियों में बचा-खुचा मांस नोचेंगे
गर्दन उठा कर इतराएंगे, शिकार पर करेंगे दावा
राजनेताओं सा यह गुण
किसने किससे सीखा?
गिद्धों ने राजनेताओं से या राजनेताओं ने गिद्धों से...