Friday, February 13, 2015

ख़्वाब

कब आओगे रूठे ख़्वाब
कब आओगे झूठे ख़्वाब
आंख उनींदी तुमको ढूंढे
कब आओगे टूटे ख़्वाब
दिल में मेरे चुभता हरदम
जिसने मुझसे लूटे ख़्वाब
गीली पलकें, गीले अरमां
फिर भी सूखे-सूखे ख़्वाब
अश्कों से भी ख़लिश मिटे ना
निकले रूखे-रूखे ख़्वाब
वक़्त का पहिया ऐसे घूमा
कितने पीछे छूटे ख़्वाब
आस जगी जब तुमको देखा
फिर से दिल में फूटे ख़्वाब
कब आओगे???
कब???

4 comments:

  1. कभी हम टूटे
    कभी ख़्वाब टूटे
    ना जाने
    कितने टुकड़ो मे अरमान टूटे
    हर टुकड़ा आईना है ज़िन्दगी का
    हर आईने के साथ
    लाखों जज़्बात टूटे

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