कब आओगे रूठे ख़्वाब
कब आओगे झूठे ख़्वाब
आंख उनींदी तुमको ढूंढे
कब आओगे टूटे ख़्वाब
दिल में मेरे चुभता हरदम
जिसने मुझसे लूटे ख़्वाब
गीली पलकें, गीले अरमां
फिर भी सूखे-सूखे ख़्वाब
अश्कों से भी ख़लिश मिटे ना
निकले रूखे-रूखे ख़्वाब
वक़्त का पहिया ऐसे घूमा
कितने पीछे छूटे ख़्वाब
आस जगी जब तुमको देखा
फिर से दिल में फूटे ख़्वाब
कब आओगे???
कब???
कब आओगे झूठे ख़्वाब
आंख उनींदी तुमको ढूंढे
कब आओगे टूटे ख़्वाब
दिल में मेरे चुभता हरदम
जिसने मुझसे लूटे ख़्वाब
गीली पलकें, गीले अरमां
फिर भी सूखे-सूखे ख़्वाब
अश्कों से भी ख़लिश मिटे ना
निकले रूखे-रूखे ख़्वाब
वक़्त का पहिया ऐसे घूमा
कितने पीछे छूटे ख़्वाब
आस जगी जब तुमको देखा
फिर से दिल में फूटे ख़्वाब
कब आओगे???
कब???
Wah kya khoob likha hai bhai
ReplyDeleteकभी हम टूटे
ReplyDeleteकभी ख़्वाब टूटे
ना जाने
कितने टुकड़ो मे अरमान टूटे
हर टुकड़ा आईना है ज़िन्दगी का
हर आईने के साथ
लाखों जज़्बात टूटे
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ReplyDeleteWah kya khoob likha hai bhai
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