मेरे हिस्से का सूरज
मेरे हिस्से के तारे
गीली बारिश की ख़ुश्की
कुछ ढहती सी बोझल दीवारें
छू लेता था हाथ लगाकर
पकड़ नहीं पाया लेकिन
अब तो और भी दूर लगता है सब
क्या पकड़ पाऊंगा
जैसे छू लेता था पहले
या खुल जाएगी आंख अचानक
और हाथ लगेगी मायूसी और
इक फटेहाल चद्दर!!
मेरे हिस्से के तारे
गीली बारिश की ख़ुश्की
कुछ ढहती सी बोझल दीवारें
छू लेता था हाथ लगाकर
पकड़ नहीं पाया लेकिन
अब तो और भी दूर लगता है सब
क्या पकड़ पाऊंगा
जैसे छू लेता था पहले
या खुल जाएगी आंख अचानक
और हाथ लगेगी मायूसी और
इक फटेहाल चद्दर!!
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