कलाम थे ही कमाल। 83 साल के नौजवान। इतनी ऊर्जा, इतनी लगन, इतनी सादगी और इतना समर्पण। हर किसी में ये गुण संभव नहीं। हाथों में गीता-कुरान व बाइबल और जुबान पर फिजिक्स। कर्म से विशुद्ध वैज्ञानिक और जीवन में आध्यात्मिक, संगीत प्रेमी, हंसमुख व मिलनसार। बच्चों और युवाओं के हीरो। कभी अभावों का रोना नहीं रोया। कोई शिकायत नहीं की। निरंतर कड़ी मेहनत के साथ काम करते रहे। सपने देखे भी, दिखाए भी और साकार भी किए। सौ फीसदी खरा सोना थे कलाम। किसी एक धर्म के नहीं, किसी एक जाति के नहीं। संपूर्ण भारतीय। पूरे राष्ट्र का गौरव। जिससे बात करते, वही कायल हो जाता। तभी शायद निधन के समय तक उनका किसी से विरोध नहीं हुआ। सबने सदा खुली बाहों से उनका स्वागत किया और कलाम ने भी सबको घुट के गले लगाया। कहते थे-‘मैं शिक्षक हूं और शिक्षक के रूप में ही पहचाना जाना चाहता हूं।’ सीखने और सिखाने को हमेशा लालायित।
कलाम पक्के कर्मयोगी थे। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था-‘मेरी मृत्यु पर छुट्टी मत करना, अगर मुझसे प्यार करते हो, तो उस दिन ज्यादा काम करना।’ खुद भी डटकर काम करते और दूसरों को भी प्रेरणा देते। जिंदगी के अंतिम पलों में भी शिलांग के आईआईएम में पढ़ाते हुए दुनिया को अलविदा कहा। आराम में वक्त जाया नहीं करते। गाड़ी में ही सोते। शिलांग आईआईएम जाते समय भी इस बात को लेकर चिंतित थे कि संसद नहीं चल रही। अपने सहयोगी से कहा कि आईआईएम में स्टूडेंट्स से इस पर सुझाव मांगूंगा। देश को 2020 तक विकसित राष्ट्र बनाने का सपना देखने वाले कलाम हर माह एक लाख युवाओं व बच्चों से मिलते थे। युवाओं से उन्हें बहुत उम्मीदें थीं। लगाव भी बहुत था। यही वजह है कि सोशल मीडिया पर उनके सबसे ज्यादा फॉलोअर युवा व बच्चे ही थे।
बेहद गरीब परिवार में जन्मे कलाम ने अखबार बांटने से अपनी पहली कमाई की। आज वही शख्स देश-दुनिया की अखबारों में छाया हुआ है। कलाम की शख्सियत ही ऐसी थी कि कोई उनके जादू से बच न सका। वर्ष 2005 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कलाम से तीस मिनट की मुलाकात के बाद कहा था, ‘धन्यवाद राष्ट्रपति महोदय। भारत भाग्यशाली है कि उसके पास आप जैसा एक वैज्ञानिक राष्ट्रपति है।’ कलाम की ईमानदारी, सादगी, दयालुता, कर्मठता, समर्पण व त्याग के इतने किस्से हैं कि बखान करने में एक साल कम पड़ जाए। यही बात कलाम को सबसे अलग करती है। देश को परमाणु शक्ति बनाने वाले ‘मिसाइल मैन’ के लिए आज देश की हर आंख दिल से नम है। कलाम को सलाम!!
कलाम पक्के कर्मयोगी थे। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था-‘मेरी मृत्यु पर छुट्टी मत करना, अगर मुझसे प्यार करते हो, तो उस दिन ज्यादा काम करना।’ खुद भी डटकर काम करते और दूसरों को भी प्रेरणा देते। जिंदगी के अंतिम पलों में भी शिलांग के आईआईएम में पढ़ाते हुए दुनिया को अलविदा कहा। आराम में वक्त जाया नहीं करते। गाड़ी में ही सोते। शिलांग आईआईएम जाते समय भी इस बात को लेकर चिंतित थे कि संसद नहीं चल रही। अपने सहयोगी से कहा कि आईआईएम में स्टूडेंट्स से इस पर सुझाव मांगूंगा। देश को 2020 तक विकसित राष्ट्र बनाने का सपना देखने वाले कलाम हर माह एक लाख युवाओं व बच्चों से मिलते थे। युवाओं से उन्हें बहुत उम्मीदें थीं। लगाव भी बहुत था। यही वजह है कि सोशल मीडिया पर उनके सबसे ज्यादा फॉलोअर युवा व बच्चे ही थे।
बेहद गरीब परिवार में जन्मे कलाम ने अखबार बांटने से अपनी पहली कमाई की। आज वही शख्स देश-दुनिया की अखबारों में छाया हुआ है। कलाम की शख्सियत ही ऐसी थी कि कोई उनके जादू से बच न सका। वर्ष 2005 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कलाम से तीस मिनट की मुलाकात के बाद कहा था, ‘धन्यवाद राष्ट्रपति महोदय। भारत भाग्यशाली है कि उसके पास आप जैसा एक वैज्ञानिक राष्ट्रपति है।’ कलाम की ईमानदारी, सादगी, दयालुता, कर्मठता, समर्पण व त्याग के इतने किस्से हैं कि बखान करने में एक साल कम पड़ जाए। यही बात कलाम को सबसे अलग करती है। देश को परमाणु शक्ति बनाने वाले ‘मिसाइल मैन’ के लिए आज देश की हर आंख दिल से नम है। कलाम को सलाम!!
सौ फीसदी खरा सोना थे कलाम
ReplyDeleteshukriya sir
Deleteshukriya sir
Deleteकलाम को सलाम....
ReplyDeletejay ho bhai
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ReplyDeleteआप जैसे ही भाव आज हर दिल में हैं...
ReplyDeleteji pankaj bhai sahi kaha...
Deletemaza aa gya...bahut khoob
ReplyDeletebahut shukriya
ReplyDeletebahut shukriya
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