Wednesday, March 25, 2015

शहीद-ए-आज़म भगत सिंह को नमन

तू असली मिट्टी का जाया
तू ‘फसली’ मिट्टी का जाया
मिट्टी में बंदूकें बोर्इं
मिट्टी में बारूद उगाया। (1)
तू असली...
कच्ची उम्र में छोड़ पतंगें
दुश्मन के संग पेंच लड़ाया
खून सनी मिट्टी जब देखी
मस्तक क्रांति तिलक लगाया। (2)
तू असली...
बात वतन की आन पे आई
अग्निकुंड में हाथ जलाया। (3)
क्रूर हुई दुश्मन की लाठी
खून बहाकर दंभ मिटाया। (4)
तू असली...
अंधे कानूनों का हल्ला
बहरे कानों तक पहुंचाया।
जेल की अंधियारी कोठी से
आज़ादी का दीप जलाया। (5)
तू असली...
जुल्म सहे और लाठी-गोली
भूख सही पर जुबां न खोली।
मक्कारों का शीष झुकाकर
देश में क्रांति यश फैलाया। (6)
तू असली...
डरी सल्तनत, साजिश खेली
किंतु किंचित न घबराया।
आज़ादी का ख़्वाब दिखाकर
मौत को हंसकर गले लगाया। (7)
तू असली...
धन्य हुआ बलिदान तुम्हारा
जिसने नवजीवन दिखलाया।
मातृ भूमि पर जान लुटाकर
इस मिट्टी का कर्ज चुकाया।
तू असली मिट्टी का जाया

(1) ‘फसली’ मिट्टी शब्द का इस्तेमाल पंजाब की उपजाऊ जमीन व वीरों की धरती के लिए किया गया है। बचपन में चाचा अजीत सिंह ने एक दिन भगत सिंह को खेत में लकड़ियां बोते हुए देखा, पूछने पर भगत ने कहा- वो बंदूकें बो रहे हैं। इनसे बड़े होकर अंग्रेजों को मारेंगे।
(2) 16 साल की उम्र में जलियांवाला बाग कांड ने भगत सिंह को बेहद प्रभावित किया। इस घटना के बाद वे जलियांवाला बाग से खून से सनी मिट्टी बोतल में भरकर घर ले आए।
(3) एचआरए से जुड़ने के बाद उनकी मुलाकात चंद्रशेखर आज़ाद से हुई। उन्होंने भगत सिंह को छोटी उम्र का होने के कारण बड़ी जिम्मेदार देने से इनकार किया। भगत सिंह ने आग में हाथ डालकर अपनी प्रतिबद्धता का परिचय दिया।
(4) साइमन कमीशन के विरोध में लाठीचार्ज के दौरान लाला  लाजपतराय शहीद हो गए। इसका बदला लेने और अंग्रेजों को सबक सिखाने के लिए उन्होंने ब्रिटिश अफसर सांडर्स को मौत के घाट उतार दिया।
(5) पब्लिक सेफ्टी बिल के विरोध में भगत सिंह व बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली में असेंबली बम फेंक कर विरोध जताया। भगत सिंह का कहना था कि बहरी हो चुकी अंग्रेज सरकार को जगाने के लिए धमाके की जरूरत है।
(6) जेल में अत्याचारों को सहते हुए उन्होंने कैदियों से मानवीय व्यवहार करने के लिए आवाज उठाई। दो महीने से ज्यादा की भूख हड़ताल के बाद अंग्रेज सरकार झुकी और उनकी शर्तें स्वीकार की। इससे पूरे देश में भगत सिंह की छवि एक सत्याग्रही के रूप में उभरी।
(7) भगतसिंह की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए अंग्रेजों ने बेहद कमजोर केस के बावजूद भगत सिह को फांसी की सजा सुनाई। फांसी की तय से एक दिन पहले ही उन्हें लाहौर जेल में फांसी दे दी गई। सब कुछ जानते हुए भगत सिंह ने अपनी रिहाई की गुजार नहीं लगाई और फांसी का फंदा चूम लिया।

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