आईने में अपना चेहरा साफ दिखने लगा है अब
पेशानी के बल और बालों की सफेदी भी
इक धूल का पर्दा था जैसे
अब हट गया है
मिट्टी से लिपटी हुई कुछ बातें
घर की मुंडेर पर टंगी थीं
कल ही उतारी हैं
सर्द हवा काट रही थी
चाल बेढब थी
इक सुकून की चादर तानी है अभी
मद्धम सी रोशनी है उस पार
धुंधला सा दरिया है
जाने की हिम्मत न पूछिए
पतवार थामी है अभी
तरह-तरह की बातें हैं
कुछ अच्छी, कुछ बुरी
इक बात सुनी कल
पांव के नीचे दबे कुछ सूखे पत्ते
सरक गए इधर-उधर
मुखौटे वाले चेहरे देख डर जाता हूं
हर बार धोखा खा जाता हूं इनसे
फिर आईने से दूर भागने लगता हूं
धूल का ये पर्दा और गहरा होता चला जाता है
और गहरा...
पेशानी के बल और बालों की सफेदी भी
इक धूल का पर्दा था जैसे
अब हट गया है
मिट्टी से लिपटी हुई कुछ बातें
घर की मुंडेर पर टंगी थीं
कल ही उतारी हैं
सर्द हवा काट रही थी
चाल बेढब थी
इक सुकून की चादर तानी है अभी
मद्धम सी रोशनी है उस पार
धुंधला सा दरिया है
जाने की हिम्मत न पूछिए
पतवार थामी है अभी
तरह-तरह की बातें हैं
कुछ अच्छी, कुछ बुरी
इक बात सुनी कल
पांव के नीचे दबे कुछ सूखे पत्ते
सरक गए इधर-उधर
मुखौटे वाले चेहरे देख डर जाता हूं
हर बार धोखा खा जाता हूं इनसे
फिर आईने से दूर भागने लगता हूं
धूल का ये पर्दा और गहरा होता चला जाता है
और गहरा...
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