Saturday, July 28, 2018

पश्चाताप

तेरा कोई पश्चाताप नहीं
लाशों के ढेर पर खड़ा करबद्ध
क्षमा मांग रहा रोती रूहों से
क्योंकि अब नींद नहीं आती
तेरा कोई अधिकार नहीं
तेरा कोई पश्चाताप नहीं
तेरे अट्टहास के सामने
मंद पड़ गया हर रुदन
मंद पड़ गई हर चीत्कार
भुजाओं की ताक़त के नशे में चूर
अब चूर चूर हुआ तेरा गुरूर
तेरा कोई सत्कार नहीं
तेरा कोई पश्चाताप नहीं

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