श्रद्धा से झुके शांत सिर
अपलक निहारती नम आंखें
जड़ हो चुकी चंचल जीह्वा
एक दिव्य पुरुष के अवसान पर
किंतु हिलोरें लेता क्षुद्र मन
अट्टहास करती निष्ठुर आत्मा
दृश्य जैसे अचानक बदल गया
शांत सिर में कौंध गए अनगिनत विचार
नम आंखों में दिखी सिंहासन की चमक
जड़ हुई जिह्वा से फूटे भेड़ियों के स्वर
स्थिर शरीर ने दिखाया बाहुबल
जयघोष के साथ हुआ राज्याभिषेक
"श्रद्धासुमन" राजा पर न्योछावर हुए
श्रद्धांजलि सभा संपन्न हुई।।
बहुत खूब सर
ReplyDeleteधन्यवाद
DeleteVery touch and deep thoughts . Well done.
ReplyDeletethanks
DeleteAppreciable
ReplyDeletethanks
ReplyDeleteसत्य वचन शब्दभेदी कलम
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ReplyDeleteधन्यवाद भाई
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