बोझ ये सारा घट जाएगा
काले बादल सा जो फैला
सब अंधियारा छंट जाएगा
सबक दिए जो इस जीवन ने
पाले तुमने जो उपवन में
उनको साथ हमेशा रखना
मुश्किल वक्त भी कट जाएगा
इक छोटी सी है फुलवारी
दिखती है जो दुनिया सारी
इसके फूलों की खुशबू से
राग-द्वेष सब हट जाएगा
अहंकार का फेर है सारा
मिट्टी जैसा है जग सारा
जब देगी आवाज ये मिट्टी
भेद ये सारा मिट जाएगा
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