कान खोलकर सुनो
हवा-पानी में जो घोला है ज़हर तुमने
इक दिन तुम्हारे ही बच्चों का दम घोंटेगा
उस दिन कुछ नहीं होगा तुम्हारे पास
सिवा इस नफ़रत के, वहशत के
वह दिन बहुत भयानक होगा
तुम घुटनों के बल झुक कर
रहम की भीख मांग रहे होंगे
और काल तुम्हें लौटा रहा होगा
तुम्हारी ही फैलाई नफ़रत
वह दिन बहुत भयानक होगा
सुनो! नफ़रत के सौदागरो
कान खोलकर सुनो।।
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