Thursday, May 28, 2020

उड़ान

उसने सबसे पहले
दाहिने पंख पर कील ठोंकी
लेकिन वो उड़ गया
उसने बाएं पंख पर कील ठोंकी
लेकिन वो फिर उड़ गया
उसने दाहिना पंख काट दिया
अब वो फड़फड़ाने लगा
उसने बायां पंख भी काट दिया
अब वो लड़खड़ा कर चलने लगा
कुछ देर चला
और फिर गिर गया
अब उसने पंखों पर मरहम लगाया
सारी कायनात को दिखाया
अपनी दयालुता से सबको मोह लिया
उसका जयघोष होने लगा
फिर उसने...
खुले आसमान में उड़ने वाले को
पंजों पर चलना सिखाया
अपने दरबार में बिठाया
और एलान किया...
इक दिन यूं ही तुम्हें
उड़ना भी सिखा दूंगा
दरबार तालियों से गूंज उठा!!

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