Friday, May 8, 2020

ख़ानाबदोशी

2122 2122 2122 22
इस तरह आंखें चुराने की ज़रूरत क्या है
झूठ का परदा चढ़ाने की ज़रूरत क्या है

हर तरफ ख़ानाबदोशी है सितमगर अब तो
दर-ब-दर मजमा लगाने की ज़रूरत क्या है

चोर कोई है छिपा दिल में अगर तो कह दे
बेवजह दिल को दुखाने की ज़रूरत क्या है

बस्तियां होने लगी ख़ाली कि डर लगता है
अब चराग़ों को जलाने की ज़रूरत क्या है

हैं अगर दोस्त ज़माने में रक़ीबों जैसे
पास दुश्मन को बिठाने की ज़रूरत क्या है

आख़िरी होगा सफ़र मालूम तो था सबको
बात ये दिल से लगाने की ज़रूरत क्या है

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