काश कि सरहदों पर होतीं बर्फ की दीवारें
जो सियासी बयानों की गर्मी से पिघल जाया करतीं
सरहदों के दोनों ओर फैल जाता इनका ठंडा पानी
फिर कोई फूल खिलता इस पानी से नम हुई मिट्टी में
हर तरफ बिखर जाती जिसकी खुशबू
कंटीली तारों से छिले बिना कितना खूबसूरत और महफूज़ होता वो फूल
काश कि सरहदों पर होतीं बर्फ की दीवारें....
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