Sunday, October 19, 2014

गहरे साए

दिल के अंदर झांके कौन
दर्द दबा है गहरा मौन
सन्नाटों से घबराता हूं
साथ निभाने आए कौन
सूरज दिन में झुलसाता है
चांद सहन तक लाए कौन
पक्की सड़कें, उजली गलियां
पगडंडी दिखलाए कौन
आंखों में तस्वीर बने जो
मन को इतना भाए कौन
चेहरे पे किसका उजियारा
दिल में गहरे साए कौन
मां की लोरी जैसी धुन हो
गीत वही फिर गाए कौन
धूप से तपते घर-आंगन में
बादल बन छा जाए कौन
आंसू से भी दर्द बहे ना
सितम ये इतना ढाए कौन
किसको दिल का हाल सुनाएं
कौन सुनेगा, हाए कौन?

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