Tuesday, November 26, 2019

ग़ुलाम रूहें

ग़ुलाम जिस्मों से
कहीं ज़्यादा ख़तरनाक होती हैं
ग़ुलाम रूहें

ग़ुलाम दिमागों से
कहीं ज़्यादा भयानक होती हैं
ग़ुलाम रूहें

जिस्मों की ग़ुलामी
ख़त्म हो जाती है
जिस्म ख़त्म होने के बाद

दिमागों की ग़ुलामी
रुक जाती है
धड़कनें रुकने के बाद

लेकिन रूहें हमेशा
ग़ुलाम रहती हैं
क्योंकि वे मरतीं नहीं

वे अनंत काल तक
जिस्मों को ढोती हैं
और इन्हें बनाती चली जाती हैं
और भी ग़ुलाम

ये नस्लों को ग़ुलाम बना देती हैं
ये नहीं पहचानतीं
अच्छे-बुरे का भेद

ये नहीं जानतीं
प्यार और नफ़रत का खेल

इन्हें ओढ़ कर जिस्म भी
बन जाते हैं कठपुतली
और दिमाग़ मशीन

इसलिए ग़ुलाम जिस्मों से
कहीं ज़्यादा ख़तरनाक होती हैं
ग़ुलाम रूहें...

3 comments:

  1. बढ़िया रचना

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  2. लाजवाब और गहराई को समेटे हुए जिसे कोई विरला ही आत्मसात कर सकता है।

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