Saturday, November 23, 2019

साजिशें

ये नीम-शब की साजिशें
ये बेहिसाब साजिशें
ज़िंदगी के मोड़ पर
ये जानलेवा साजिशें
सफेदपोश चेहरों की
स्याहपोश साजिशें
अंधेरों के खेल में
रोशनी से साजिशें
है कौन इन्हें बुन रहा
है कौन इन्हें सुन रहा
ख़ुद से भी हैं  बेख़बर
ये क़ातिलाना साजिशें
हर गली, हर मोड़ पर
हर सड़क, हर चौक पर
ज़मीं पे हैं बिखरी पड़ीं
ये आसमां की साजिशें
साजिशों के हैं मकां
साजिशों की है दुकां
भरे हुए पेट की
भूख से हैं साजिशें
सब तरफ फ़ितूर है
बात कुछ ज़रूर है
मोहब्बतों की बात में
नफ़रतों की साजिशें
हर कोई बीमार है
चारागर लाचार है
हंसी के बाज़ार में
आंसुओं की साजिशें
ये नीम-शब की साजिशें
ये बेहिसाब साजिशें...

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