Thursday, August 15, 2019

राह

इस राह चलूं,
उस राह चलूं
है शोर बहुत
किस राह चलूं
है चाह यही
इस जीवन की
मैं मुश्किल सी
इक राह चलूं
हैं खौफ़ बहुत
इन रस्तों पर
मैं निर्भय
बेपरवाह चलूं
रुकना न पड़े
झुकना न पड़े
दिन रैन बरस
और माह चलूं
मैं छोड़ चलूं
सब खुदगर्ज़ी
मैं छोड़ सभी
फिर चाह चलूं
जिस राह चलूं
उस राह चलूं
फिर और न
कोई राह चलूं

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