भूख क्या है
अन्न के चंद दानों के लिए छटपटाहट?
यह अभिशाप है
पीढ़ी दर पीढ़ी चलता जा रहा अभिशाप
कभी न ख़त्म होने वाला अभिशाप
हमारी मौक़ापरस्त ज़िंदगी का चेहरा
हमारी लाचारी का स्याह सच
सफेद कपड़ों पर बेशर्मी का पैबंद
जिसका प्रदर्शन कर रहे हैं हम
छाती पर लगे तमगे की तरह
आंकड़ों का पहाड़ बनाने को कर रहे मेहनत
राजनीति के मंच पर अच्छा भाषण है भूख
(दिसंबर 2015)
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