क्यों जीना हुआ हराम राम तेरे शहर में
सड़कों पे कत्लेआम राम तेरे शहर में
हैं मुट्ठियां कसी हुईं जुबां पे तल्खियां
ना दुआ ना सलाम राम तेरे शहर में
तुलसी, कबीर, ख़ुसरो ख़ामोश हो गए
क्यों पढ़ते नहीं कलाम राम तेरे शहर में
क्यों तेरे घर की ख़ातिर तेरा ही घर गिराया
क्यों मारी गई अवाम राम तेरे शहर में
'रत्ना' ने रटा राम और संत हो गए
वो नाम क्यों बदनाम राम तेरे शहर में
बहुत खूब सर
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