पाश! तुमने कहा था...
सबसे ख़तरनाक होता है...
सपनों का मर जाना
मुर्दा शांति से भर जाना
तुम्हारी वो बातें आज भी गूंजती हैं
मुर्दा शांति को भंग करती हैं
वो मुर्दा जिस्म आज भी टहलते हैं
घर से निकलते हैं सुबह...
और शाम को लौट आते हैं
बिना कोई सवाल किए
बस हथौड़ा पीटते हैं
यहां सब खुश हैं पाश
काश तुम भी जिंदा होते
सपनों को ज़िंदा रखते
बड़े बेवक़्त चले गए।।
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